क़ुतुब मीनार की लम्बाई – Qutub Minar ki Lambai Kitni Hai

क़ुतुब मीनार की लम्बाई :- हैलो दोस्तों ! क्या अपने सोचा है कभी की,भारत के दिल्ली शहर में स्थिति विश्व धरोहर कुतुब मीनार की ऊँचाई कितनी हैं? यह इमारत ईंट से बनी विश्व की सबसे ऊँची मीनार है,जो एक बहुत ही प्रचलित दर्शनीय स्थल है।आज कल देखा गया है की हमारे competitive exams में General knowledge में ऐसे बहुत से प्रश्न आते हैं जो हमारे भारतीय इतिहास को दर्शाते हैं। जैसे कि क़ुतुब मीनार कहाँ स्थिति है? कुतुब मीनार की ऊँचाई क्या है? या फिर क़ुतुब मीनार किसके द्वारा बनबाई गयी थी? तो ऐसे में किसी भी competition की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए इतनी जानकारी होना बहुत आवश्यक है।तो आइए आज कुछ ऐसे ही रोचक सवालों के उत्तर जानने की कोशिश करते हैं।

क़ुतुब मीनार की लम्बाई – Qutub Minar ki Lambai Kitni Hai

 

कुतुब मीनार क्या है?

दिल्ली जो भारत का दिल से जानी जाती है।यहाँ पर बनी है यह खूबसूरत इमारत जिसको आज के समय हम सब कुतुब मीनार के नाम से जानते हैं।यह एक ईंटों से बनी मीनार है जो हिंदू- मुग़ल इतिहास का एक बहुत प्रसिद्ध उदाहरण है।यह दिल्ली के दक्षिण इलाक़े में महरौली में बनी हुई है।कुतुब मीनार को सन 1993 में विश्व धरोहर में शामिल की गया।

कुतुब मीनार की ऊँचाई कितनी हैं? - Qutub Minar Height in Hindi

कुतुब मीनार की ऊँचाई की बात करें तो इसकी ऊँचाई 73 मीटर (239.5 फीट) और व्यास 14.3 मीटर है, जो ऊपर जाकर शिखर पर 2.75 मीटर (9.02 फीट) हो जाता है। इसमें 379 सीढियाँ हैं।

कुतुब मीनार का इतिहास क्या है?

कहते है ना हर सफल काम के पीछे का कोई प्रेरणाश्रोत कारण जरुर होता है।ऐसे ही कुतुब मीनार के बनने के पीछे बड़ी ही रोचक कहानी है। आइए अब इसके इतिहास के बारे में जानते हैं।भारत के समीप ही स्थित अफ़ग़ानिस्तान में बनी जाम की मीनार को देख कर और उससे प्रेरित होकर दिल्ली के पहले मुश्लिम शासक क़ुतुबुद्दीन ऐबक ने जमा मीनार से भी ऊँची इमारत को बनवाने का मन बना लिया।सन 1199 में ऐबक ने इसकी नीव रखी तथा 1193 में आरंभ कर तो दिया,परंतु केवल इसका आधार ही बनवा पाया।इसके बाद,उसके ही उत्तराधिकारी इल्तुतमिश ने इसमें तीन मंजिलों को बनबाया और सन 1368 में फीरोजशाह तुगलक ने पाँचवीं और अंतिम मंजिल बनवाई। इस प्रकार यह बहुमूल्य इमारत का निर्माण किया गया।

कुतुब मीनार से जुड़े कुछ रोचक तथ्य —

कुतुब मीनार भारत की ही नही बल्कि पूरे विश्व भर में अपने अनोखे इतिहास व रोचक बातों की वजह से बिख्यात हुई है।

ऐसा कहा जाता था कि कुतुब मीनार का प्रयोग मस्जिद के रूप में किया जाता था और इसके चलते यह भी माना जाता था की अगर कुतुब मीनार के सबसे ऊपर की मंज़िल से अगर कोई नमाज़ अदा करे तो पूरी ताक़त से चिल्लाने की के बाद भी उसकी आवाज़ मुश्किल से कोई सुन पाएगा।

यह लाल और हल्के पीले पत्थर से बनाई गयी है जिसमें क़ुरान की आयतें लिखी हुई हैं।

ऐसा माना जाता है इसमें जो पत्थर और अन्य निर्माण सामग्री जो प्रयोग की गयी थी वो 27 हिंदू मंदिरों से तोड़ कर प्रयोग की गयी थी।

मीनार के पास ही चौथी शताब्दी में एक लौह स्तम्भ हैं जो चंद्रगुप्त 2 के द्वारा निर्मित कराया गया था।

कुछ लोगों का मानना है विक्रमादित्य के नौ रत्नो में एक बरहमीर के द्वारा इसका निर्माण कराया गया था जो कि विस्णु स्तम्भ के नाम से जाना जाता था।

पास में लौह स्तम्भ में आज भी जंग नही लगी जो अपने आप में एक अनोखा और उस समय के होशियारी और बुद्दिमत्ता को दर्शाता है।

हिंदू पक्ष के नज़रिए से देखा जाए तो कुतुबमीनार 27 मंदिरों को तोड़ कर उसका निर्माण करवाया गया था।मीनार के सबसे ऊँची मंज़िल में विस्णु मूर्ति के साक्ष्य मिले हुए थे जो बाद में समाप्त कर दिए गए।

तो दोस्तों आज हमने कुतुब मीनार से जुड़ी प्रत्येक बातों को गहराई से जाना हैं। उम्मीद करता हूँ कुतुब मीनार से जुड़ा यह article आपके लिए महत्वपूर्ण जानकारी से पूर्ण रहा होगा।

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